सब कुछ खत्म हो जायेगा एक दिन, पिघलते हुए ग्लेशियर्स हवा में घुलते जहर से प्रदूषित पानी लुप्त हो जायेंगी दुर्लभ प्रजातियां वन्य और जीवों की लील जायेगा समुद्र छोटे-छोटे द्वीपों को आँधी/सुनामी/भूकम्प और बाढ़ की तबाही मिटा देगी इन्सानी बस्तियों को. जलता हुआ रेगिस्तान सुखा देगा नदियों को. ब्लैकहोल बन कर सूर्य, निगलता जायेगा एक एक कर अपने ग्रह.
सब कुछ खत्म हो जायेगा एक दिन,
पिघलते हुए ग्लेशियर्स
हवा में घुलते जहर से
प्रदूषित पानी
लुप्त हो जायेंगी दुर्लभ प्रजातियां
वन्य और जीवों की
लील जायेगा समुद्र
छोटे-छोटे द्वीपों को
आँधी/सुनामी/भूकम्प
और बाढ़ की तबाही
मिटा देगी इन्सानी बस्तियों को.
जलता हुआ रेगिस्तान
सुखा देगा नदियों को.
ब्लैकहोल बन कर सूर्य,
निगलता जायेगा
एक एक कर अपने ग्रह.
मिट जायेगा
इस तारा मंडल का नामोनिशान तक
फिर भी खत्म नहीं होगा
उस पल पर सब कुछ.
दूर किसी आकाशगंगा में,
अज्ञात सुदूर नक्षत्र पर
जन्म ले रही होंगी
जीवन की सम्भावनाएं.
पिघलते हुए ग्लेशियर्स
हवा में घुलते जहर से
प्रदूषित पानी
लुप्त हो जायेंगी दुर्लभ प्रजातियां
वन्य और जीवों की
लील जायेगा समुद्र
छोटे-छोटे द्वीपों को
आँधी/सुनामी/भूकम्प
और बाढ़ की तबाही
मिटा देगी इन्सानी बस्तियों को.
जलता हुआ रेगिस्तान
सुखा देगा नदियों को.
ब्लैकहोल बन कर सूर्य,
निगलता जायेगा
एक एक कर अपने ग्रह.
मिट जायेगा
इस तारा मंडल का नामोनिशान तक
फिर भी खत्म नहीं होगा
उस पल पर सब कुछ.
दूर किसी आकाशगंगा में,
अज्ञात सुदूर नक्षत्र पर
जन्म ले रही होंगी
जीवन की सम्भावनाएं.
प्रस्तुति - प्रभा मजूमदार
साभार - नवनीत - हिन्दी डाइजेस्ट (जून 2014)
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