पीओएस ( प्वॉइंट ऑफ सेल ) मशीनों की आपूर्ति चीनी कंपनियों पर निर्भर है। बैंकों ने बड़ी मात्रा में इन मशीनों को मंगाना शुरू कर दिया है। ऐसे में, जब हम डिजिटल लेन-देन की ओर बढ़ रहे हैं, तो इसका फायदा पीओएस मशीनों के माध्यम से चीनी कंपनियों को होना 'मेक इन इंडिया' को आगे बढ़ने से रोकता है।
पीओएस ( प्वॉइंट ऑफ सेल ) मशीनों की आपूर्ति चीनी कंपनियों पर निर्भर है। बैंकों ने बड़ी मात्रा में इन मशीनों को मंगाना शुरू कर दिया है। ऐसे में, जब हम डिजिटल लेन-देन की ओर बढ़ रहे हैं, तो इसका फायदा पीओएस मशीनों के माध्यम से चीनी कंपनियों को होना 'मेक इन इंडिया' को आगे बढ़ने से रोकता है। यह बात सरकार के ध्यान में न आना संभव नहीं। फिर भी चीन को चुना गया है। मित्र होने का नाटक करके दुश्मन जैसा बर्ताव करने वाले उस देश से आयात को कम करने की बजाय उसमें बढ़ोतरी के लिए कदम आगे बढ़ाए जा रहे हैं। भारतीय उत्पादकों को मौका ही नहीं मिलेगा, तो हमारी अर्थव्यवस्था कैसे सुधरेगी?
~ अर्पिता पाठक
ईमेल - arpitabpathak@gmail.com
साभार - हिन्दुस्तान | मेल बॉक्स | मुरादाबाद | शनिवार 17 दिसंबर 2016 । पेज संख्या - 12
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