अन्याय और अपनी कमजोरियों से संघर्ष ही सत्याग्रह - सरदार वल्लभ भाई पटेल एक संघर्ष होता है अन्याय के खिलाफ और दूसरा संघर्ष होता है, हमारी अपनी कमजोरियों के खिलाफ। सत्याग्रह कमजोर लोगों या कायरों का पंथ नहीं है।
हमें अपने समाज से ऊंच -नीच, अमीर-गरीब, जाति-पंथ के भेदभाव को खत्म कर देना चाहिए। हमें आपसी झगड़े, ऊंच -नीच के भेदभाव को खत्म कर समानता की भावना को विकसित करना चाहिए और छुआछूत को दूर करना चाहिए। हमें एक ही ईश्वर की संतान के रूप में मिल-जुलकर जीवन जीना चाहिए। हमें अपनी सरकार चलाने के लिए एकता और सहयोग की बहुत आवश्यकता है। जाति और पंथ का भेदभाव हमारी प्रगति और आगे बढ़ने की राह में बाधा नहीं बननी चाहिए।
हम सभी भारत माता की संतान हैं। हमें अपने देश से प्यार करना चाहिए और पारस्परिक प्रेम और सहयोग पर अपनी नियति का निर्माण करना चाहिए। कुछ लोगों की लापरवाही आसानी से जहाज को गहरे समुद्र में डुबा सकती है, लेकिन उसे बंदरगाह तक सुरक्षित पहुंचाने के लिए जहाज पर बैठे सभी लोगों का पूरे दिल से सहयोग अति आवश्यक है। जीवन में सुख और दुख आते-जाते रहते हैं, इसलिए मौत से न डरें। राष्ट्रनिर्माण के लिए हम सभी एकजुट हो जाएं। हमें अपने सारे झगड़े भूलकर उन लोगों को काम देना चाहिए, जो भूखे हैं, उन लोगों को भोजन देना चाहिए, जो अशक्त हैं। एक सत्याग्रही के रूप में हमें हमेशा दावा करना चाहिए और हमने किया है कि हम अपने विरोधियों के साथ शांतिपूर्ण व्यवहार के लिए तैयार हैं। सत्याग्रह पर आधारित संघर्ष हमेशा दो तरह के होते हैं। एक संघर्ष होता है अन्याय के खिलाफ और दूसरा संघर्ष होता है, हमारी अपनी कमजोरियों के खिलाफ। सत्याग्रह कमजोर लोगों या कायरों का पंथ नहीं है।
- सरदार वल्लभ भाई पटेल
- लौह पुरुष सरदार पटेल की आज जयंती है
साभार - अमर उजाला | अंतर्ध्वनि | मुरादाबाद | मंगलवार | 31 अक्तूबर 2017
इस पोस्ट को आज की बुलेटिन 87वां जन्म दिवस - अब्दुल कावी देसनवी - ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है।
जवाब देंहटाएंसरदार पटेल के बारे में जानकर अति प्रसन्नता हुई
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