फिर कभी न हो हिरोशिमा
डरावने बादल, तेज तड़तड़ाहट, चुंधियाती रोशनी और भयानक शोर-ऐसा पहले कभी न हुआ था, और न उम्मीद है कि दोबारा होगा। यह जापानी शहर हिरोशिमा पर परमाणु हमले का दृश्य था। अपराधी अमेरिका था, और उसके तत्कालीन राष्ट्रपति हैरी ट्रूमैन ने यह कहकर इस विनाशलीला का बचाव किया था कि मानव इतिहास की सबसे खूनी जंग को खत्म कराने के लिए ऐसा करना जरूरी था। हमले के 16 घंटे के बाद राष्ट्रपति ट्रूमैन ने जब घोषणा की, तब पहली बार जापान को पता लगा कि हिरोशिमा में हुआ क्या है? ट्रूमैन के शब्द थे, '16 घंटे पहले एक अमेरिकी विमान ने हिरोशिमा पर एक बम गिराया है। यह परमाणु बम है। हम और भी अधिक तेजी से उसे मिटाने और उसकी हर ताकत को नेस्तनाबूद करने के लिए तैयार हैं। अगर वह हमारी शर्तों को नहीं मानता, तो बर्बादी की ऐसी बारिश के लिए उसे तैयार रहना चाहिए, जैसा इस पृथ्वी ने पहले कभी नहीं देखा है।'
छह अगस्त, 1945 की सुबह 8.15 बजे 'लिटिल ब्वॉय' का विस्फोट हुआ, और क्षण भर में 80,000 से 1,40,000 लोग मारे गए, जबकि 1,00,000 से अधिक गंभीर रूप से जख्मी हुए। आज भी हिरोशिमा के लोग उस विस्फोट के दंश को झेल रहे हैं। अब करीब 71 वर्ष बाद कोई अमेरिकी राष्ट्रपति वहां पहुंचे हैं। आज नौ देशों ने ऐसे परमाणु हथियार विकसित कर लिए हैं कि मिनटों में यह दुनिया खत्म हो जाए। ये नौ देश हैं- अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस, चीन, भारत, पाकिस्तान, इजरायल और उत्तर कोरिया। इनके पास कुल मिलाकर 17,000 परमाणु हथियार हैं। बेशक 'स्टार्ट' समझौते के तहत रूस और अमेरिका ने अपने भंडार घटाए हैं, मगर तैयार परमाणु हथियारों का 93 फीसदी जखीरा आज भी इन्हीं दोनों देशों के पास है। श्रीलंका गर्व कर सकता है कि न्यायमूर्ति सी जी वीरामंत्री, जो दुनिया में प्रख्यात न्यायाविदों में गिने जाते हैं, परमाणु निरस्त्रीकरण अभियान की अगुवाई कर रहे हैं। उनका तर्क है कि परमाणु हथियार अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानून व तमाम धर्मों के सिद्धांतों के खिलाफ है। वाकई, बौद्ध, ईसाई, हिंदू या इस्लामी धर्मग्रंथों में जन-संहारक हथियारों का विरोध किया गया है।
छह अगस्त, 1945 की सुबह 8.15 बजे 'लिटिल ब्वॉय' का विस्फोट हुआ, और क्षण भर में 80,000 से 1,40,000 लोग मारे गए, जबकि 1,00,000 से अधिक गंभीर रूप से जख्मी हुए। आज भी हिरोशिमा के लोग उस विस्फोट के दंश को झेल रहे हैं। अब करीब 71 वर्ष बाद कोई अमेरिकी राष्ट्रपति वहां पहुंचे हैं। आज नौ देशों ने ऐसे परमाणु हथियार विकसित कर लिए हैं कि मिनटों में यह दुनिया खत्म हो जाए। ये नौ देश हैं- अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस, चीन, भारत, पाकिस्तान, इजरायल और उत्तर कोरिया। इनके पास कुल मिलाकर 17,000 परमाणु हथियार हैं। बेशक 'स्टार्ट' समझौते के तहत रूस और अमेरिका ने अपने भंडार घटाए हैं, मगर तैयार परमाणु हथियारों का 93 फीसदी जखीरा आज भी इन्हीं दोनों देशों के पास है। श्रीलंका गर्व कर सकता है कि न्यायमूर्ति सी जी वीरामंत्री, जो दुनिया में प्रख्यात न्यायाविदों में गिने जाते हैं, परमाणु निरस्त्रीकरण अभियान की अगुवाई कर रहे हैं। उनका तर्क है कि परमाणु हथियार अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानून व तमाम धर्मों के सिद्धांतों के खिलाफ है। वाकई, बौद्ध, ईसाई, हिंदू या इस्लामी धर्मग्रंथों में जन-संहारक हथियारों का विरोध किया गया है।
साभार - हिंदुस्तान | डेली मिरर, श्रीलंका | विदेशी अखबार से | पेज संख्या - 12 | शनिवार | 28 मई, 2016
यह पोस्ट आज की बुलेटिन 78वां जन्म दिवस - दिलीप सरदेसाई और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल है।
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